मीरजापुर।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश के आह्वान पर आज बिजली कर्मचारियों ने विद्युत नियामक आयोग के कार्यालय पर मूक प्रदर्शन किया और निजीकरण के विरोध में ज्ञापन दिया। प्रदेश के समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर भी निजीकरण के विरोध में व्यापक विरोध प्रदर्शन किए गए।
बिजली कर्मियों ने विद्युत नियामक आयोग के मुख्य द्वार के सामने निजीकरण के विरोध में तख्तियां लेकर मूक प्रदर्शन किया। नियामक आयोग के सचिव ने मुख्य द्वार पर आकर संघर्ष समिति का ज्ञापन लिया। ज्ञापन के जरिए संघर्ष समिति ने निजीकरण पर नियामक आयोग द्वारा सुनवाई पर अपनी आपत्ति और विरोध दर्ज किया।
संघर्ष समिति ने विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष के नाम दिए गए ज्ञापन में उनसे मांग की है कि वह पावर कार्पोरेशन प्रबंधन द्वारा पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण हेतु दिए गए आरएफपी डॉक्यूमेंट को मंजूरी न दें और निजीकरण की प्रक्रिया पर रोक लगाए। संघर्ष समिति ने विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष से यह भी मांग की है कि निजीकरण के मामले में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश को भी नियामक आयोग के सामने अपना पक्ष रखने के लिए समय दिया जाय।
ज्ञापन में कहा गया है कि विद्युत नियामक आयोग को अवैध ढंग से नियुक्त किए गए, झूठा शपथ पत्र देने वाले और फर्जीवाडा स्वीकार कर लेने वाले ट्रांजैक्शन कंसलटेंट ग्रांट थॉर्टन द्वारा बनाए गए पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के आर एफ पी डॉक्यूमेंट पर पॉवर कॉरपोरेशन से कोई बात नहीं करनी चाहिए थी और न ही इस पर कोई अभिमत देना चाहिए।
एक अन्य मुख्य बात यह है कि श्री अरविंद कुमार ने उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के चेयरमैन के पद पर रहते हुए विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के साथ 06 अक्टूबर 2020 को एक लिखित समझौते पर हस्ताक्षर किया है। यह समझौता उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री माननीय श्री सुरेश खन्ना एवं तत्कालीन ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा की उपस्थिति में हुआ था।
इस समझौते में लिखा गया है कि “पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का प्रस्ताव वापस लिया जाता है। इसके अतिरिक्त किसी अन्य व्यवस्था का प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। उत्तर प्रदेश में विद्युत वितरण निगमों की वर्तमान व्यवस्था में ही विद्युत वितरण में सुधार हेतु कर्मचारियों एवं अभियंताओं को विश्वास में लेकर सार्थक कार्यवाही की जाएगी। कर्मचारियों एवं अभियंताओं को विश्वास में लिए बिना उत्तर प्रदेश में किसी भी स्थान पर कोई निजीकरण नहीं किया जाएगा।”
06 अक्टूबर 2020 के इस समझौते पर अरविंद कुमार के हस्ताक्षर हैं, जिसमें पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का प्रस्ताव वापस लेने की बात है और साफ लिखा है कि उत्तर प्रदेश में किसी भी स्थान पर कोई निजीकरण नहीं किया जाएगा। अतः उप्र राज्य विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष रहते हुए वे कैसे पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के आर एफ पी डॉक्यूमेंट पर अपना अभिमत दे सकते हैं।
इसके अतिरिक्त विद्युत नियामक आयोग में दूसरे सदस्य श्री संजय सिंह उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के कर्मचारी रह चुके है। ऐसी स्थिति में पावर कॉरपोरेशन की सब्सिडियरी पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के डॉक्यूमेंट पर वे भी अपना अभिमत नहीं दे सकते।
विद्युत नियामक आयोग में आज की तारीख में कोई मेंबर लॉ नहीं है। इस तरह विद्युत नियामक आयोग का तकनीकी दृष्टि से कोरम ही पूरा नहीं है।
ज्ञापन में कहा गया है कि इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए विद्युत नियामक आयोग को निजीकरण के किसी भी डॉक्यूमेंट पर न ही कोई अभिमत देना चाहिए और न ही को कोई मंजूरी नहीं देनी चाहिए।
पॉवर कार्पोरेशन प्रबंधन द्वारा नियामक आयोग के सामने निजीकरण के दस्तावेज प्रस्तुत किए जाने के समाचार से प्रदेश भर में बिजली कर्मचारियों में गुस्सा फैल गया है। आज समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर बिजली कर्मचारियों ने निजीकरण के विरोध में व्यापक विरोध प्रदर्शन किया और विद्युत नियामक आयोग से मांग की कि वह पॉवर कारपोरेशन के निजीकरण के प्रस्ताव को कोई मंजूरी न दे।
विरोध सभा मुख्य अभियंता कार्यालय के समक्ष इंजीनियर दीपक सिंह की अध्यक्षता एवं संचालन राम सिंह के नेतृत्व में संपन्न हुई, जिसमें संयोजक इंजीनियर दीपक सिंह, सुमित कुमार यादव, जयकार पटेल, अविनाश अग्रहरि, संजय यादव, नितिन पटेल, अंशु कुमार पांडे, विनीत मिश्रा, प्रदीप कुमार, पंकज कुमार, राम सिंह, प्रमोद कुमार, अमित सिंह, विनय कुमार गुप्ता, विनय कुमार, शिव शंकर सिंह, इंद्रेश सिंह, संदीप कुमार सिंह, हेमंत सिंह, विकास सिंह, राम जन्म, रमेश पंकज राय आदि मौजूद रहे।
