आध्यात्म

झुकने वाला ही सत्य: मोरारी बापू 

झुकने वाला ही सत्य: मोरारी बापू 
0 मानस श्रीदेवी मे तत्व विवेचन मे बिंदुवार महाविद्या नवदुर्गा के महत्व के आंतरिक भाव को समझाया 
ब्यूरो रिपोर्ट, मिर्जापुर।
 संत मोरारी बापू नवरात्रि के चौथे दिन राम कथा मानस श्रीदेवी मे तत्व विवेचन बिंदुवार महाविद्या नवदुर्गा के  महत्व के आंतरिक भाव को समझाते हुए और गुरु तत्व के मार्मिक शब्दों की व्याख्या करते हुए रामकथा का रसास्वादन से श्रोता भक्तभाव विभोर हो गए संत श्री बापू आसन ग्रहण करने के उपरांत एक बार यहां की सभी देवी चेतना को प्रणाम करते हुए कथा का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि मूल विचार को केंद्र में रखते हुए कर सुमन में उठ रहे थे। तीनों देवी यहां विराजमान है मां काली मां अष्ट भुजा विंध्यवासिनी। इन तीनों में कौन सी मां सत्य है,  कौन सी मा करुणा है और कौन मां प्रेम है। यहां पर विंध्य सत्य है और अचर है।  विंध्य पर्वत गुरु के चरणों में झुका है, इसलिए झुकने वाला सत्य है जो व्यक्ति उठने लगता है और कामयाबी हासिल करने लगता है तब उसके अंदर गुरुर आने लगता है जो सब कुछ पाकर उचाई शिखरता पर जाकर भी गुरु की चरणों में नतमस्तक होता है। जो सत्य है जो गर्व करता है वह गिरता है।  विंध्य पर्वत भी इन्हीं में से एक है यह धीरे-धीरे ऊपर उठता गया और एक समय ऐसा आया कि संसार मे सूर्य की रोशनी न पड़ने से चारों तरफ अंधेरा और हाहाकार मचने लगा लेकिन विंध्य पर्वत को गुरु अगत्स्य मुनि ने विन्ध्य पर्वत के पास आए तो विन्ध्य पर्वत ने झुककर मुनि को प्रणाम किया फिर मुनि ने कहा मैं किसी कार्यवश कहीं जा रहा हूं जब तक मैं ना आऊं तब तक ऐसे ही झुके रहना। तबसे विंध्य पर्वत गुरु की साधना में लीन हो गया और जो साधना में लीन हो जाता है उसे किसी गुरु की आवश्यकता नहीं होती ।विन्ध्य पर्वत भी गुरु के सम्मान में झुका और सत्य हुआ। उन्होंने कहा कि मेरे पास ऐसे कई लोग आए जो सत्ता से पहले झुककर आशीर्वाद प्राप्त किए लेकिन  सत्ता पाने के बाद वह गुरु के पास दिखते भी नहीं जिससे सत्ता अधिक दिन तक नही टिक पाता हैं, इसलिए हमें गुरुवो का आदर व सम्मान करना चाहिए इससे हमारा मार्ग प्रशस्त होता है , यदि किसी के अंतःकरण भक्ति की प्रवृत्ति आ जाती है तो इसके अंदर से हिंसा खत्म हो जाती है।

पूजा बड़ा सरल है प्रेम अत्यंत कठिन है
बापू ने अमृत कथा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि आज इंसान चारभुजा और आठ भुजा का पूजा करने के लिए लालायित रहता है लेकिन घर में दो भुजाधारी अपनी माता पिता से प्रेम करने से चुक  जाते हैं। जो हमारे सुख दुख में हमेशा साथ देते हैं हमें उन्हें हमेशा प्रेम और उनका पूजा करना चाहिए। बापू ने कहा कि बलि प्रथा बंद हो जाना चाहिए इससे ना बोल पाने वाले पशु मारे जा रहे हैं। बापू स्वच्छता अभियान के लिए कहा कि स्वच्छता अभियान को हमारे ऋषि मुनियों  को हमारे ऋषि-मुनियों ने प्राचीन काल से ही करता रहे हैं। अब तो हमें सिर्फ उससे जुड़ना होगा हमारे अंदर से द्वेष निकाल दे तो सफाई हो जाएगी हमारे मन में जो गंदगी है सबसे पहले उसे निकाला जाए तो सबसे बड़ी सफाई हो जाएगी। मुरारी बापू ने महात्मा गांधी जी के विचारों में कहा कि खादी वस्त्र नहीं बल्कि एक विचार है हमें खादी वस्त्र ही धारण करना चाहिए। मैं इस पर किसी को जोर नहीं दूंगा लेकिन मैं अपने लिए बता रहा हूं कि मेरे पंडाल का पताका से लेकर आसन तक की प्रयोग की जाने वाली कपड़े सभी खादी के ही होते हैं,  क्योंकि इस खादी की वजह से बहुतों को रोजी रोटी मिलती है। देश के लिए बापू जी ने कहा कि गांधी जी का चक्र कृष्ण जी का चक्र तथा भारत का राष्ट्रीय चक्र यह तीनों ही हमारे देश का मापदंड है इस दौरान बापू ने कुछ नौजवानों के चिट्ठियां पढ़े और उन्हें अपने पास बुला कर समाज के लिए संदेश दिया कि यहां सभी व्यक्ति अपने विचारों को व्यक्त सकता है लेकिन यहां के नियमों को देखते हुए। बापू ने दो नौजवानों को अपने पास बुला कर अंग वस्त्र भेट कर उन्हें उन के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए उत्साहित किया। बापू ने कहा कि मैं यहां किसी को सुधारने के लिए नहीं बल्कि स्वीकारने के लिए निकला बापू ने कहा कि साधु का मतलब चंदन टीका व अच्छे लिबास लगाने या पहनने से नहीं बल्कि वाणी स्वभाव तथा कार्य से विनम्रता सरलता से साधुवाद का पता चलता है। उन्होंने कहा कि कवि निरंकुश होता है ,वह किसी के वश में नहीं होता है वह अपनी कविता व लेख से संसार मे सच्चाई का प्रकाश बिखेरता है। सतगुरु की कृपा है वह है जो द्वरणीय शिष्य को सत की ओर ले जाए मनुष्य के जन्म जन्मांतर अविवेकित मस्तिष्क को भाव रुपए परिवर्तित कर विवेक शीलता को प्रभावित कर मुक्त प्रदान करता है। सतगुरु का आश्रय जन्म जन्म के बुखार को उतरता है। असत इसी सत्य की ओर ले जाकर नव जागृति शक्ति को हमेशा अग्रसर प्रयास करता है।
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