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बीएसए की चेतावनी, फिर भी धड़ल्ले से चल रहे अहरौरा मे अमान्य विद्यालय 

बीएसए की चेतावनी, फिर भी धड़ल्ले से चल रहे अहरौरा मे अमान्य विद्यालय
ब्यूरो रिपोर्ट,  मिर्जापुर(अहरौरा)।

जिले मे 267 विद्यालय मान्यता रहित चल रहे हैं। शिक्षा अधिकारी प्रवीण कुमार तिवारी ने इस संबंध में कहा कि ऐसे अमान्य विद्यालय को दस हजार से लेकर एक लाख रुपये तक जुर्माना किया जायेगा और उन विद्यालयों के विरूद्ध विधिक कार्यवाही की जायेगी। सभी मान्यता विहिन स्कूलों को नोटिस दिया जा चुका है।
अहरौरा मॆं दस विद्यालयों को चिह्नित कर नोटिस जारी होने की बात सामने आई थी,  लेकिन आज भी वे विद्यालय सुचारू रूप से चल रहे है। इन विद्यालयों में मानक के अनुरूप न कमरे हैं, नहीं खेल मैदान। न ही योग्य शिक्षक है और न ही कमरों में बैठने का उचित साधन। कुछ तो उठल्लू के चूल्हे की भांति किराये पर चल रहे हैं। विद्यालय के नाम से बैंक खाते तो हैं मगर विद्यालय की जमींन नहीं है। और तो और अगर कभी आग लग जाये तो इनके पास अग्निशमन के लिए उपकरण तक नही है।  बच्चों को अंकपत्र और टीसी दूसरे स्कूल की दी जाती है। सनड्रीम, प्रतिभा, डिवाइन, सनसाइन, नवीन आदि कई ऐसे नाम है जो शिक्षा के नाम पर बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करती आ रही है। किसी विद्यालय के पास मानक के अनुरूप जमींन और कमरे नहीं है। एक बड़े मजे की बात है जितनी बार अधिकारियों का दौरा इन विद्यालयों पर बनता है उतनी बार शिक्षार्थियों के अभिभावकों पर आर्थिक बोझ बढ़ जाती है।  कई स्कूलों में तो छोटे छोटे बच्चों को सीढ़ियों से तीसरे तल पर जाकर शिक्षा लेनी पड़ती है जो कभी भी दुर्घटना का कारण बन सकती है।
कई स्कूलों में चिकित्सा की सुविधा नहीं है तो कई विद्यालयों में शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं है जबकि शिक्षक मजे से आरो का पानी पीते हैं। आग बुझाने के लिए कोई व्यवस्था इन स्कूलों में नहीं है। मानक से अधिक बच्चों को टेम्पो से ढोकर विद्यालय लाया जाता है। अंग्रेज़ी की सनक और सरकारी स्कूलों के खस्ता हाल अभिभावकों को इन स्कूलों की ओर खींच लाती है मगर बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ तो हो ही जाता है। शारीरिक और मानसिक विकास की जगह बच्चे कई प्रकार के विकारों से पीड़ित हो जाते हैं जिसके कारण मोटे मोटे चश्मे लगाने को मजबूर हैं।
ऐसे में बड़े अधिकारियों को समझौता करने की जगह कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है। पुलिस घटना का पर्दाफाश न करें तो आम जनता में नकारात्मक संदेश जाता है मगर शिक्षा माफियाओं का पर्दाफाश करके कड़े कदमों की जानकारी आज तक किसी केस में मिर्जापुर शिक्षा अधिकारियों के द्वारा नहीं हो पायी है। अब तो जनपद के शिक्षा अधिकारियों और शिक्षा माफियाओं को देख कर ऐसा लगता है कि हम बने तुम बने, एक दूजे के लिए, ऐसा जनता आरोप लगाती है। शायद नई शिक्षा नीति ही अब भारत को विश्व गुरु बना पाये जो हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी सपना के रूप में देखते हैं।

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