कुछ अलग

अहरौरा के बारहवीं के छात्र ने दिल्ली में आयोजित छठवें इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल 2020 मे लहराया परचम

० दो धानो के क्यारियों के बीच मे जमे घास को कुचलने की मशीन को कलाम इनोवेशन लैब में बनाया
डिजिटल डेस्क, मिर्जापुर। 
दिल्ली में हो रही विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय भारत सरकार द्वारा छठवें इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल 2020 का आयोजन किया गया है।  जिसका शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू एवं केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, भारत सरकार के विज्ञान मंत्री हर्षवर्धन द्वारा किया गया।
  इस अंतरराष्ट्रीय महोत्सव में देश-विदेश के वैज्ञानिक , शोधकर्ताओ ने प्रतिभाग किया। देश-विदेश के शोधकर्ताओं ने जूम अप्लीकेशन पर अपना लाइव प्रोजेक्ट सीएसआईआर के महानिर्देशक प्रोफेसर शेखर सी. मांडे , सीएसआईआर एवं  अनेक विज्ञानसंस्था के अनेक  वैज्ञानिकों ,  एवं राज्य मंत्री पोत परिवहन, रसायन और उर्वरक मंत्रालय के सामने प्रस्तुत किए। जिसमे दो धानो के क्यारियों के बीच मे जमे घास को कुचलने की मशीन को कलाम इनोवेशन लैब में सत्यनारायण प्रसाद के मार्गदर्शक में जय हिंद विद्या मंदिर अहरौरा में 12 वीं के छात्र बाल वैज्ञानिक प्रिंस कुमार पिता भगेलू गुप्ता और  कलाम इनोवेशन में तैयार किया। जो भारत मे पहला स्थान प्राप्त किया और उन्हें राज्य मंत्री (पोत परिवहन, रसायन और उर्वरक मंत्रालय) ने नगद राशि तीस हजार देने की  घोषणा की।
जिला समन्वयक ‌सुशील कुमार पांडे ने बताया कि- धानो के खोते में जब धान बोए जाते हैं तो कुछ महीनों के पश्चात धान के क्यारियों के बीच में जो थोड़ी सी जगह शेष रह जाती है। उसमें बहुतायत मात्रा में घास जमने लगते हैं, जिससे दानों की वृद्धि में बाधा उत्पन्न होती है और धानो  में कल्ले कम निकलते हैं किसान घासो  को हाथों से निकालते हैं तो उनका अधिक समय और अधिक परिश्रम लगता है ।
     परियोजना शीशा चुनने का कारण – मैं जब खेतों में अपने किसान भाइयों को हाथों से घास को निकालते देखा तो हमने इस समस्या का ज्ञात हुआ और मैंने एक ऐसी मशीन बनाने का संकल्प लिया जो कि किसानों के लिए बहुत ही लाभदायक हो।
छात्र द्वारा बनाते ग्रे मशीन के लाभ – इस मशीन से घंटो का काम मिनटों में आसानी पूर्वक किया जा सकता है और इस मशीन को किसी भी ग्राउंड में नमी मिट्टी में घासो को निकाला जा सकता है। जो हम मजदूरों को पैसे देते है घासो को निकलने के रोपाई करने के  लिए वे हम स्वयं कर सकते है।
   यह मशीन प्रथम प्रकार के उत्तोलक के सिद्धांत पर आधारित है सर्वप्रथम हमने मोटरसाइकिल का रिंग लिया और उसके रिंग के इस किनारे से लेकर उस किनारे तक आठ-दस नकली बुलेट लगाएं ताकि वह घास पर चलाया जाए तो या तो वह खचा जाये या तो कट ही जाए फिर हमने साइकिल के हैंडल से लेकर पूरे नीचे तक के भाग को लिया पीछे के पूरे भाग को छोड़ दिया और उसमें मोटरसाइकिल का जो रिंग थी उसको फिट कर दिया ताकि वह आसानी से आगे पीछे कि जा सके फिर हमने उसमें एक मोटरसाइकिल का स्टैंड फिट किया इसलिए क्योंकि वह कहीं भी से खड़ा किया जा सके। हमारा यह उद्देश्य  है कि हम कोई ऐसा मशीन बनाएं जो की धानो  में कुछ समय बाद होने वाले घासो को आसानी से खाच (कुचल) चल सके जो की धानो को बढ़ने में बाधा उत्पन्न करती हैl यहां मशीन बिल्कुल  नहीं है और मैंने स्वयं अपने हाथों से बनाई है।
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