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चुर्क स्टेशन पर इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग का कार्य रिकॉर्ड समय में हुआ पूरा, प्रयागराज मण्डल हुआ लीवर फ्रेम आधारित मैकेनिकल इंटरलॉकिंग रहित

मिर्जापुर।
चुनार – चोपन खंड के सभी स्टेशनो पर लीवर फ्रेम आधारित मैकेनिकल इंटरलॉकिंग के स्थान पर इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग लगाने का कार्य चुर्क स्टेशन पर 45 रुट के इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग के कमीशनिंग के साथ आज पूरा कर लिया गया है। इस कार्य के साथ अब प्रयागराज मंडल में लीवर फ्रेम आधारित मैकेनिकल इंटरलॉकिंग के माध्यम से ट्रेन का परिचालन पूरी तरह से समाप्त हो गया है। मैकेनिकल इंटरलॉकिंग को हटाकर सिग्नलिंग सिस्टम के आधुनिकीकरण रेलवे बोर्ड के प्रमुख लक्ष्यों में से एक है जिसे मंडल रेल प्रबंधक के मार्गदर्शन में सिग्नल विभाग ने बहुत तेजी से पूरा कर लिया है| प्रयागराज मण्डल द्वारा मैकेनिकल इंटरलॉकिंग को हटा कर वित्तीय वर्ष 2020-2021 में 03, 2021-2022 में 08 और 2022-2023 में 03 इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग की स्थापना का कार्य पूरा किया गया|
इस स्टेशन पर लगे मैकेनिकल इंटरलॉकिंग को हटाकर इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग लगाया गया है जिससे इस स्टेशन से ट्रेनों का आगमन – प्रस्थान अब सुचारु रूप से हो रहा है। पावर सप्लाई के निर्बाध आपूर्ति के लिए इंटीग्रेटेड पावर सप्लाई सिस्टम लगाया गया है। सिग्नलिंग उपकरणों की विफलता के कारणों का पता लगाने में अधिक समय न लगे तथा मानव श्रम की भी बचत हो, इसके लिए सिग्नलिंग उपकरणों के डाटा को एनालिसिस करने के लिए डेटालॉगर स्थापित किया गया है। डटलॉगेर से एंटी-थेफ़्ट अलार्म सिस्टम, एटी सप्लाई मॉनिटरिंग, रिले रूम डोर मॉनिटरिंग सिस्टम को भी जोड़ा गया है। एकीकृत सञ्चालन हेतु इस डटलॉगेर को प्रयागराज मंडल के सेंट्रल डटलॉगेर सेण्टर के इंटीग्रेटेड किया गया है। सिग्नलिंग उपकरणों के बेहतर कार्य करने के लिए रिले रूम में एयर कंडीशनिंग की गई है। रिले रूम में किसी तरह की आगजनी की घटना से निपटने के लिए फायर अलार्म लगाया गया है। स्टेशन मास्टर कक्ष में 40 इंच के दो बड़े ऑपरेटिंग VDU लगाया गया है जिससे ट्रेन सञ्चालन अब बिलकुल आसान हो गया है।
इस स्टेशन पर 22 DCTC के साथ फ्रॉस्चर की 23 MSDAC एक्सल काउंटर ट्रैक सर्किट लगाया गया है. स्टेशन यार्ड में 18 पॉइंट मशीन, 14 मेन सिग्नल तथा 10 शंट सिग्नल लगाए गए है। सोनभद्र – चुर्क एवं चुर्क – अघोरी ब्लॉक सेक्शनों के लिए आधुनिक ब्लॉक वर्किंग प्रणाली UFSBI लगाया गया है जो की ड्यूल एक्सल काउंटर आधारित है तथा ऑटो रिसेट प्रणाली से लैश है। इस खंड पर पहले टोकनलेस ब्लॉक उपकरण लगा था।
सिग्नलिंग उपकरण आपस में विभिन्न केबल के माध्यम से जुड़ा होता है। इन केबल के इंसुलेशन को समय समय पर जांचना होता है। प्रयागराज मंडल में ट्रेन परिचालन के हिसाब से अत्यंत व्यस्त होने के कारण केबल इंसुलेशन के टेस्टिंग के लिए कम समय मिल पता है जिसका सीधा असर सिग्नलिंग उपकरणों के कार्य क्षमता पर पड़ता है। इससे निपटने के लिए अर्थ लीकेज डिटेक्टर लगाया गया है जो सभी केबल कोर के इंसुलेशन की निगरानी करने के साथ-साथ सचेत भी करता है। सिग्नलिंग उपकरणों की चोरी जैसी जैसी घटनाओं से निपटने के लिए सभी रिले हट में एंटी थेप्ट उपकरण लगाए गए है।
इस कार्य के पूर्ण होने से रेल गाडियों के समय पालनता में भी सुधर आएगा तथा मालगाड़ियों के एवरेज स्पीड में भी बढ़ोतरी हो सकेगी।
महाप्रबंधक उत्तर मध्य रेलवे द्वारा साप्ताहिक संरक्षा बैठक के दौरान मण्डल रेल प्रबंधक एवं उनकी टीम और मुख्यालय की टीम को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी गई | इस अवसर पर उन्होंने कहा कि मैकेनिकल इंटरलॉकिंग इतिहास बनने की ओर है, हम मैकेनिकल इंटरलॉकिंग को पूरी तरह से समाप्त कर इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग स्थापित कर रहे है| इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग ट्रेन संचालन को और बेहतर गतिशीलता प्रदान करने के साथ साथ संरक्षा सुनिश्चित करने के क्षेत्र में एक प्रभावी कदम है| उन्होंने बताया कि उत्तर मध्य रेलवे के भरवा सुमेरपुर एवं मथुरा गुड्स यार्ड की मैकेनिकल इंटरलॉकिंग को इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग के परिवर्तन के कार्य को मार्च 2023 तक पूरा कर लिया जाएगा| इसके उपरांत उत्तर मध्य रेलवे में मैकेनिकल इंटरलॉकिंग शेष नहीं रह जायेगी|

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