अन्याय के खिलाफ

राज्य आजीविका मिशन के माध्यम से सेवारत कर्मियों ने उपेक्षा पर आक्रोश जताया

मिर्जापुर।
करीब एक दशक से सरकार की मंशा के अनुसार राज्य आजीविका मिशन के माध्यम से सेवारत कर्मियों ने उपेक्षा पर आक्रोश जताया। 9 सूत्रीय मांगों को लेकर सांसद रामशकल से मुलाकात कर पत्रक सौंपा। प्रदेश स्तर पर वार्ता के दौरान 2015 में लिए गए निर्णय के लागू न होने पर चिंता जताया।सांसद ने मिशन से जुड़े लोगों को न्याय का भरोसा दिया।
सांसद के आवास पर सोमवार को पहुंचे कर्मियों का आरोप है कि पूर्व में सरकार के प्रतिनिधि से वार्ता के अनुसार 12 वीं निकाय एवं 18 वीं शासी निकाय में अनुमोदित एचआर पॉलिसी का लाभ दिए जाने का निर्णय किया गया था । जिसका लाभ अब तक नहीं मिल सका है ।
राज्यपाल के आदेशानुसार वर्ष 2012-13 में नियुक्ति की गई । जिला से लेकर ब्लॉक स्तर तक आजीविका मिशन में तैनाती की गई । कर्मियों के हितों के लिए मानव संसाधन नियमावली 15 स्वीकृत किया गया 7% वेतन प्रतिवर्ष बढ़ाने का निर्णय किया गया था । जिसे अब तक लागू नहीं किया गया है । कर्मचारियों ने सेवा कार्य में लगे लोगों के परिवारों की सुरक्षा के लिए ईपीएफ की सुविधा दिए जाने की मांग की । उनका आरोप है कि विभाग में बैठे कतिपय लोग धन उगाही के लिए जिले में कार्यरत लोगों का स्थानांतरण गैर जनपद में कर रहे हैं , जो अनुचित है ।
महंगाई के करण अल्प वेतन में कार्य करना कठिन हो गया है । कहा कि गैर जनपद में स्थानांतरित लोगों की तैनाती अपने जनपद में किया जाय।  इसके अलावा आउटसोर्सिंग के तहत भर्ती की प्रक्रिया को समाप्त करके संविदा के आधार पर नियुक्ति किए जाने की मांग की गई । कहा कि कंप्यूटर ऑपरेटरों को बढ़ती महंगाई के बीच महज ₹12000 वेतन दिया जा रहा है, इसे बढ़ाकर 18000 किया जाए। ताकि वह अपने परिवार का पालन पोषण, अब बच्चों की शिक्षा का निर्वहन कर सकें । इसके साथ ही विभाग की लंबित मांगों को पूरा करने के बाद ही विभाग में भर्ती किए जाने की मांग की गई है।
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