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आयुर्वेद पद्धति द्वारा बिना सर्जरी वीनस अल्सर की सफल चिकित्सा

मिर्जापुर।
एपेक्स वेलकेयर ट्रस्ट द्वारा संचालित एपेक्स इंस्टिट्यूट ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एण्ड हॉस्पिटल, चुनार में ट्रस्टी डॉ एस के सिंह के सहयोग से वीनस अल्सर जैसा रोग रक्त की सिराओं की विकृति के कारण रोगी की त्वचा पर हो जाता है तथा इस तरह के घाव अक्सर पैरों में होते है जिन्को भरने में हफ्तों से लेकर महिनों का समय लग जाता है। कभी-कभी ये घाव नहीं भरते एवं रोगी को अपने अंग गवाने पड़ते है। इस रोग में रोगी के घाव में निरंतर पीड़ा, स्त्राव, सूजन एवं दुर्गन्ध आती है, तथा दैनिक कार्यों में बाधा आती है।

आयुर्वेद विज्ञान के द्वारा अब वीनस अल्सर की चिकित्सा में सफलताएं पाई गई है जिसमे रोगी को आभ्यांतर एवं बाहय औषधियों के द्वारा रोग से मुक्ति दिलाई जाती है। चुनार स्थित एपेक्स इंस्टिट्यूट ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एण्ड हॉस्पिटल में कायचिकित्सा विभाग में वैद्या डॉ गौरी चौहान की देख रेख में वीनस अल्सर के रोगी को कायचिकित्सा विभागाध्यक्ष वैद्य डॉ प्रवीन राय के दिशानिर्देश में भर्ती किया गया।

रोगी को पिछले छह माह से दाहिने पैर में वीनस अल्सर हुआ था। जिसके वजह से रोगी कई अन्य अस्पतालों में दिखा चुका था जहाँ उसको सर्जरी के लिए बताया गया। किन्तु वह अपनी आशा बनाए रखा तथा आयुर्वेद पद्धति से चिकित्सा कराने के लिए चुनार, एपेक्स आयुर्वेद हास्पिटल पहुँचा एवं कलर डाप्लर के द्वारा रोग का विनिश्चय किया गया एवं यह पाया की रोगी के रक्त की सिराओं की विकृति के कारण वीनस अल्सर दाहिने पैर में हो गया हैं, जिस कारण रोगी को निरंतर वेदना, सूजन, रक्त तथा पस का स्त्राव एवं घाव बना हुआ था।

रोगी के घाव की चिकित्सा पंचवलकल क्वाथ तथा जात्यादि तैल द्वारा की गई एवं अन्य शास्त्रीय आयुर्वेदिक औषधियों का प्रयोग किया गया। परिणाम में रोगी का व्रण मात्र 10 से 12 दिनों में ठीक हो गया तथा अन्य लक्षणों में भी सुधार पाया गया। भविष्य में इस गंभीर रोग में शोघ के लिए योजनाबद्ध कार्य करने पर विचार चल रहा है।

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