जन सरोकार

आउटसोर्सिंग एवं संविदा के जरिए होने वाली सरकारी भर्तियों में लागू हो आरक्षण: आशीष पटेल अपना दल (एस)

० अपना दल (एस) के कार्यकारी अध्यक्ष आशीष पटेल ने विधान परिषद में यह मुद्दा उठाया
० कहा-सामान्य कट ऑफ से ज्यादा अंक लाने वाले ओबीसी, एससी-एसटी अभ्यार्थियों का चयन सामान्य श्रेणी के तहत हो
० सरकारी भर्तियों का विज्ञापन अंग्रेजी अखबारों के अलावा जिलास्तरीय स्थानीय हिन्दी अखबारों में भी जारी किया जाए
०  गरीब युवाओं को मिलेगी बेहतर जानकारी 
विमलेश अग्रहरि, मिर्जापुर।
अपना दल (एस) के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष एवं विधान परिषद सदस्य आशीष पटेल ने मंगलवार को विधान परिषद में आउटसोर्सिंग एवं संविदा के जरिए होने वाली भर्तियों में आरक्षण की मांग की। साथ ही उन्होंने यह भी मांग की कि सामान्य से ज्यादा अंक लाने वाले आरक्षित वर्ग के अभ्यार्थियों का चयन सामान्य श्रेणी में किया जाए। 
आशीष पटेल ने मंगलवार को विधान परिषद में आरक्षण से संबंधित चार प्रमुख बिंदुओं को प्रमुखता से उठाया।
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय से विभिन्न सरकारी भर्तियों में ओबीसी, एससी-एसटी वर्ग का कट ऑफ सामान्य से ज्यादा आ रहा है। अत: हमारी पार्टी अपना दल (एस) की तरफ से मांग है कि सामान्य कट ऑफ से ज्यादा अंक लाने वाले अभ्यार्थियों का सामान्य श्रेणी के तहत चयनित किया जाए। बता दें कि पिछले दिनों पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने इस ज्वलंत मामले को संसद में प्रमुखता से उठाया था। 
आशीष पटेल ने यह भी कहा कि पिछले कुछ सालों में सरकारी विभागों द्वारा बड़े पैमाने पर आउटसोर्सिंग एवं संविदा के जरिए भर्तियां की जा रही है। अत: हमारी मांग है कि आउटसोर्सिंग एवं संविदा के जरिए होने वाली भर्तियों में ओबीसी, एससी-एसर्टी वर्ग के अभ्यार्थियों के लिए आरक्षण के प्रावधान को लागू किया जाए। 
पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि डिग्री कॉलेजों अथवा विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर अथवा रीडर की भर्ती प्रक्रिया में ‘नॉट फाउंड सूटेबल’ (योग्य कैंडिडेट नहीं मिला) प्रक्रिया को खत्म किया जाए। इन पदों पर भविष्य में भी ओबीसी, एससी-एसटी वर्ग के अभ्यार्थियों की ही भर्ती की जाए और यदि इन पदों पर एढॉक के जरिए भर्ती की जा रही है तो उस दौरान भी आरक्षण के नियमों का पालन किया जाए। 
आशीष पटेल ने यह भी मांग की कि सरकारी नौकरियों का विज्ञापन अंग्रेजी अखबारों के अलावा हिन्दी के जिलास्तरीय स्थानीय अखबारों में भी जारी किया जाए, ताकि गरीब वर्ग के अभ्यार्थी, जिनकी पहुंच अंग्रेजी अखबारों तक नहीं है, उन्हें भी जनपद में ही बेहतर जानकारी मिल सके। 
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