मिर्जापुर

बेटियां हमारे समाज की आधार स्तम्भ, इन्हें शिक्षित और आत्मनिर्भर बनाए: श्वेता अग्रहरि

0 बेटियों को आगे बढ़ने का मौका दिया जाए, वह भी अपनी काबिलियत साबित कर रहीं: राम जयश्री
0 नारी शक्ति संवाद कार्यक्रम में नारी शक्ति ने विचार व्यक्त किए
मिर्जा़पुर।
 बेटी बचाओ बेटी पढा़ओ अभियान को ले कर अग्रहरि समाज महिला सम्भाग के तत्वावधान में जिला पंचायत सभागार में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का प्रारम्भ सर्वप्रथम मां विंध्यवासिनी के चित्र पर माल्यार्पण कर किया गया।
मुख्य अतिथि राष्ट्रीय अध्यक्ष श्वेता अग्रहरि ने कहा कि देश में लम्बे समय से सरकारी स्तर से समाज तक बेटी को बचाने और पढ़ाने की एक आवाज उठती रही हैं। बेटियां हमारे समाज के एक स्तम्भ हैं। यदि वे शिक्षित और आत्मनिर्भर नहीं होगी तो समाज भी लडखडा जाएगा। कन्या भ्रूण हत्या रोकने तथा बेटियों के जीवन को बचाने और उन्हें शिक्षित करने के उद्देश्य से बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसे अभियान चलाये जा रहे हैं। विधाता की इस अनोखी स्रष्टि में नर और नारी इस जीवन के ऐसे दो पहिये है, जो दाम्पत्य बंधन में बधकर स्रष्टि प्रक्रिया को आगे बढ़ाते है।
विशिष्ट अतिथि महिला थानाध्यक्ष रीता यादव ने कहा कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ टैग लाइन का मतलब है कि लोग अब बेटियों को भी लड़कों के समान अधिकार दें और उन्हें पैदा होते ही पेट में ना मार डाले, बल्कि उन्हें पैदा करें और उन्हें अच्छी शिक्षा लड़कों की तरह ही प्रदान करें, क्योंकि अब लड़का लड़की में भेद करने का समय चला गया है क्योंकि लड़कियां भी अब लड़कों को हर फील्ड में टक्कर दे रही हैं। परन्तु वर्तमान समय में अनेक कारणों से लिंग भेद का घ्रणित रूप सामने आ रहा है जो पुरुष सतात्मक समाज में कन्या भ्रूण हत्या का पर्याय बनकर बालक-बालिकाओ का समान अनुपात बिगाड़ रहा है। जिसके कारण आज बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओ जैसी समस्या का नारा देना हमारे लिए शोचनीय है। यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता ऐसी श्रेष्ट परम्परा वाले देश के लिए यह नारा कलंक है। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राम जयश्री ने कहाकि अगर बेटियों को आगे बढ़ने का मौका दिया जाए, तो वह भी अपनी काबिलियत को साबित कर सकती हैं और इसलिए यह आवश्यक है कि लोग अपनी सोच में बदलाव करें, क्योंकि जब लोगों की सोच में बदलाव आएगा तभी वह बेटियों के महत्व को जानेंगे।
संरक्षक और राष्ट्रीय मंत्री शैलेंद्र अग्रहरि ने कहा कि लोगों को यह समझना चाहिए कि जब बेटियां ही नहीं होंगी तो लड़के कहां से पैदा होंगे और उनके लड़कों की शादी कैसे होगी। लड़का और लड़की में आज के समय में कोई भी फर्क नहीं है क्योंकि जिस प्रकार लड़के अब अपने परिवार और अपने देश का नाम रोशन कर रहे हैं। उसी प्रकार लड़कियां भी अपने देश और अपनी फैमिली का नाम रोशन कर रही है।
भारत की बेटियां में वह शक्ति है जो उन्हें आगे बढ़ने का हौसला देती है, बस उन्हें चाहिए अपने परिवार का समर्थन और लोगों का साथ क्योंकि बेटियों में भी वह काबिलियत है जो बेटों में होती है। इसलिए अगर आप एक माता पिता है तो अपनी बेटियों को आगे बढ़ने का मौका अवश्य दें, उन्हें पढ़ाई लिखाए।
इस दौरान अध्यक्ष प्रेम चंद अग्रहरि, पूर्व ज्वाईंट कमीश्नर उमाशंकर अग्रहरि, ताराचंद अग्रहरि, शिवगोविंद चौरसिया, बद्री प्रसाद, हेमलता गुप्ता, तनु अग्रहरि अलका अग्रहरि, आशा अग्रहरि, पूजा शैलेंद्र, उमा अग्रहरि, प्रिया अग्रहरि, मोनिका अग्रहरि, सुभ्रत, अशोक अग्रहरि, रवि अग्रहरि, शिवम अग्रहरि, अंकित अग्रहरि, रामकृष्ण गुप्ता, दिनेश अग्रहरि आदि रहे।
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