कलम के सिपाही

राष्ट्रधर्मिता में पत्रकारिता की अहम भूमिका – डॉ0 कुमुद शर्मा

0 मिर्ज़ापुर प्रेस क्लब के तत्वावधान में नगर के लालडिग्गी स्थित लायंस स्कूल के सभागार में संगोष्ठी आयोजित 

 मिर्जापुर।

        बाज़ारवाद की दौड़ में पत्रकारिता बदलते दौर के साथ बदल गयी है, अब इसके नायक भी नए स्वरूप में पाठकों को परोसे जाते है । व्यवसायीकरण की होड़ के बावजूद राष्ट्र, समाज और पत्रकारिता के वजूद की रक्षा का संकल्प पत्रकारों ने ग्रहण किया है । राष्ट्र हित की भावना आज भी पत्रकारों में जिंदा है । जब भी राष्ट्र की बात आती है तब सब एकसाथ उठ खड़े होते है। उक्त विचार हिंदी पत्रकारिता दिवस पर दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर डॉ0 कुमुद शर्मा ने व्यक्त किया। वह मिर्ज़ापुर प्रेस क्लब के तत्वावधान में नगर के लालडिग्गी स्थित लायंस स्कूल के सभागार में आयोजित “राष्ट्रधर्मिता में पत्रकारिता एवम दायित्व” विषयक संगोष्ठी में बोल रही थी ।
डॉ0 शर्मा ने आदि सम्पादक जुगल किशोर शुक्ल को याद करते हुए कहाकि हिंदी पत्रकारिता दिवस पुरोधाओं को नमन करने का दिन है। राष्ट्रीय दायित्व पत्रकारिता और पत्रकारों के जीवन का अहम हिस्सा है। वह कभी भी उससे विमुख नही हो सकते। गुलामी के दौर में जब अखबार छापना और ब्रितानी हुकूमत के खिलाफ लिखना गुनाह समझा जाता था, तब पत्रकारिता के लिए विज्ञापन दिया जाता था कि आवश्यकता है सूखी रोटी, तन पर कपड़ा और महीनों जेल में रह सकने वाले पत्रकार की। तब भी अपनी लेखनी से समाज को झकझोरने वाले कलमकारों की बदौलत देश नवजागरण के चलते जागृत हुआ और अंग्रेजो को भारत छोड़कर भागना पड़ा। बदलते दौर में पत्रकारिता का मिशन बाजार बाजारवाद के रूप में बदल गया है। उसके हिसाब से सामग्री सजाई जाकर परोसी जा रही है। सम्पादक का वजूद समाप्त हो गया है। कभी जो तय करता था कि क्या प्रकाशित होगा और उसका स्वरूप कैसा होगा। अब समाचार के विविध रूप हो गए है। अखबार व चैनल एक ब्रांड बन गए है।  जिसे बाजार में अधिक से अधिक बेचने की होड़ मची है।  इन सबके बावजूद हिंदी पत्रकारिता तमाम रूप लेने के बावजूद समाज का आंख व कान बना हुआ है ।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि स्वतन्त्रता संग्राम में आजादी के लिए जन जागरण करके लोगों को राष्ट्रधर्मिता के प्रति जगाने में  पत्रकारिता की अहम भूमिका रही है । आज प्रिंट के बाद इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया नया नया रूप लेकर आ गई है। इसके बावजूद अखबार पढ़ने का अपना अलग ही उत्सुकता है । कहा कि सदन में आज अखबारों की हेडलाइन देखकर ही जनप्रतिनिधि अपने प्रश्न तैयार करते हैं । राष्ट्र और जनहित में उसका जवाब पाने के लिए प्रश्न उठाते हैं । कहा कि जब हम अपने मतलब की खबर देखते हैं तो खुश हो जाते हैं वहीं जब कोई अखबार आईना दिखाता है तो हम विकृत स्वरूप देखकर दुखी हो जाते हैं । हमें आईना देखने के बाद अपनी कमियों को दूर करना चाहिए तभी देश और समाज प्रगति के पथ पर अग्रसर होगा ।जिलाधिकारी अनुराग पटेल ने कहाकि अपनी लेखनी के माध्यम से राष्ट्रप्रेम की अलख जगाने वाले कलमकारों ने गुलामी के दौर में जो बिगुल फूंका था उनकी एक-एक शब्द अंग्रेजों के लिए घातक हुआ ।  विजय विश्व तिरंगा प्यारा और सारे जहां से अच्छा हिंदुस्ता हमारा यह गीत लोगों की जुबान पर चढ़ गए थे।  लेखनी की वह ताकत है जो खुशबू को दूर तक फैलाती है और वही दुर्गंध को भी ले जाती है।  अगर हमारे कार्यों पर लेखनी न चले तो जंगल में नाचा मोर किसने देखा।
पुलिस अधीक्षक आशीष तिवारी ने कहाकि कर्तव्य सर्वोपरि होता है।  गीता में भी श्रीकृष्ण ने कहा है कि कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। हम सब तो निमित्त मात्र हैं । कार्य करने वाला तो कोई और है । उन्होंने कहा कि वाराणसी को बाबा विश्वनाथ तो मीरजापुर को माता विंध्यवासिनी चला रही है । हमारे कार्यों से एक पक्ष खुश होता है तो दूसरा नाखुश होता है । हमें उसकी परवाह ना करते हुए अपने दायित्वों का निर्वहन ईमानदारी से करते रहना चाहिए । जहा दैवीय शक्ति होती है वही आसुरी शक्तियां भी विराजमान हो जाती हैं । सही मायने में देश की सेवा करने के लिए सदैव अपने दायित्वों का निर्वहन ईमानदारी से करने की जरूरत है ।मुख्य विकास अधिकारी प्रियंका निरंजन ने कहा कि राष्ट्र धर्म की भावना नई पीढ़ी में रोपने की जरूरत है । आज अपने कर्तव्य की उपेक्षा करके हम अपने अधिकारों की बात नहीं कर सकते ।  भारत की आजादी राष्ट्रधर्म धर्मिता का ही एक प्रयास है । जिसके चलते हम आजाद हैं ।  उस दौर में अखबार हाथ से लिखकर चोरी-छिपे बांटे जाते थे और लोगों को गुपचुप ढंग से बंद कमरे के अंदर अखबार पढ़ कर सुनाया जाता था । समय बदला लेकिन जन जन में राष्ट्रधर्मिता का भाव रोपित करने का दायित्व समाज के प्रबुद्ध लोगों और पत्रकारों का है ।

पूर्व एमएलसी विनीत सिंह ने कहा कि लोकतंत्र का चतुर्थ स्तंभ आईना दिखाने का काम करता है  और यह पत्रकारों का कर्तव्य है ।  जिसका वह ईमानदारी से निर्वहन करते रहेंगे । समाज को जगाने और बताने की तत्परता के चलते मीडिया के प्रति लोगों में आशा और विश्वास कायंम है । वह रोज सुबह अखबार देखते हैं की देश-प्रदेश और जिले की हलचल क्या है ।

नगर पालिका अध्यक्ष मनोज जायसवाल ने कहाकि समाज में व्याप्त बुराइयों कुरीतियों को समाप्त करने की जरूरत है आज भी है  । शिक्षा,  साहित्य, कला एवमं दहेज की समस्या आज भी समाज को जकड़े हुए हैं । उन्हें समाप्त करने के लिए आगे आना होगा । प्रतिस्पर्धा के चलते अब लोगों को लगता है कि जो भी समाचार आएगा वह छनकर और सही आयेगा । उन्होंने कहा कि देश और समाज के विकास ललक से ही वास्तव में उत्थान होता है ।  कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि अनुप्रिया पटेल, पूर्व एमएलसी विनीत सिंह, नगर पालिका अध्यक्ष मनोज जायसवाल,  जिलाधिकारी अनुराग पटेल व प्रेस क्लब के अध्यक्ष डा0 राजेश मिश्र ने संयुक्त रुप से दीप प्रज्वलन व मां सरस्वती को माल्यार्पण व नमन करके किया।  इस मौके पर सतीश रघुवंशी,  तृप्त चौबे, आकाश दुबे, प्रमोद सिंह,  समीर वर्मा, नितिन अवस्थी, अमित तिवारी, राकेश द्विवेदी, अनुज पांडेय आदि को सम्मानित किया गया।  इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार रविंद्र जायसवाल लल्लू बाबू, राहुल श्रीवास्तव, ओम प्रकाश उपाध्याय, शिवराम मिश्र, संजय सिंह गहरवार, नितिन विश्वकर्मा, तरुण पाण्डेय, विष्णु नारायण मालवीय,  एसचएन चौबे आदि उपस्थित थे।

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